शुभेच्छा संदेश..!
डॉ राजाराम त्रिपाठी (साहित्यिक),
सदस्य आयुष मंत्रालय भारत सरकार
प्रिय अनुज संजय जगताप जी,
आपके नवीनतम लेख संग्रह लेखावली को पढ़कर मेरे मन में विशेष हर्ष का संचार हुआ। आपके लेखन में निहित संवेदनशीलता और गहन सामाजिक अनुभव हमें एक ऐसी दुनिया की ओर ले जाते हैं, जहाँ विचारों की प्रखरता और अभिव्यक्ति की निपुणता का अनूठा संगम देखने को मिलता है।
आपकी लेखनी का सशक्त परिचय मैंने पहले भी आपके द्वारा मराठी में अनूदित मेरे काव्य संग्रह ‘ मै बस्तर बोल रहा हूं ’ में प्राप्त किया था। उस समय मराठी भाषी समुदाय द्वारा आपके अनुवाद की जिस प्रकार प्रशंसा की गई, वह आपके उत्कृष्ट साहित्यिक कौशल का प्रमाण था।
आपके पूर्व प्रकाशित ग्रंथ जैसे ‘आई मला जगायचंय..!’ , ‘मुलूखावेगळी माणसं’, ‘मानवतेचे पुजारी’, और ‘आम्ही जिजाऊ, सावित्रीच्या वारसदार’ ने समाज के विभिन्न आयामों को गहराई से उजागर किया है। इन पुस्तकों के माध्यम से आपने साहित्य और समाज को जो अमूल्य योगदान दिया है, वह अत्यंत प्रशंसनीय है। अब, ‘लेखावली’ के रूप में आपके छठवें ग्रंथ को पाठकों के समक्ष प्रस्तुत करते हुए मुझे यह पूर्ण विश्वास है कि यह भी पूर्व पुस्तकों की भांति उच्च प्रशंसा और स्वीकृति प्राप्त करेगा। ‘लेखावली’ के रूप में आप पाठकों के समक्ष अपने मनोभावों और जीवन के अनुभवों का अमूल्य संग्रह प्रस्तुत कर रहे हैं। इस संग्रह में आपकी गहरी संवेदनाएँ और उन परिस्थितियों से उभरे विचार निहित हैं, जिनसे आपने गुज़रते हुए इस महत्वपूर्ण साहित्य का सृजन किया है। आपके शब्दों में जीवन की जटिलताओं को सरल और प्रभावी ढंग से चित्रित करने की अद्वितीय क्षमता है, जो पाठकों के हृदय को अवश्य ही स्पर्श करेगी।
आपकी लेखनी की यात्रा केवल शब्दों तक सीमित नहीं रही। आपने कई देशों और भारत के विभिन्न हिस्सों की साहित्यिक और शैक्षणिक अभ्यासपूर्ण यात्राएँ की हैं। उन यात्राओं ने आपको विभिन्न संस्कृतियों, कलाओं, साहित्य, शैक्षणिक और सामाजिक संरचनाओं को निकट से समझने का अवसर प्रदान किया। आपकी इस गहन दृष्टि और समर्पित अध्ययन ने लेखावली को एक ऐसा अनमोल साहित्यिक संग्रह बना दिया है, जिसमें आपके संस्मरण माणिकों की तरह चमकते हुए प्रस्तुत किए गए हैं। आप मूलतः शिक्षक हैं अतएव आपने इस शिक्षा व शिक्षण के कई आयामों को अपने लेखों में समेटते हुए बहुत ही खूबसूरती से परोसा है। यह पुस्तक न केवल एक सजग स्वयंचेता लेखक की रचना यात्रा है, बल्कि एक संवेदनशील मनुष्य की दृष्टि और विचारधारा का सजीव लिखित प्रमाण है।
मुझे यह कहते हुए गर्व हो रहा है कि ‘लेखावली’ एक ऐसा सशक्त रचना-संग्रह है, जिसका अनुवाद हिंदी और अंग्रेजी में भी अवश्य होना चाहिए, ताकि आपकी विचारधारा और आपके अनुभवों से अन्य भाषाओं के पाठक भी लाभान्वित हो सकें।
आपके इस साहित्यिक यज्ञ की अनवरत प्रगति के लिए मेरी हार्दिक शुभकामनाएँ! आशा है कि भविष्य में ऐसी ही कई अन्य सार्थक पुस्तकों का आपकी उर्वरा लेखनी से प्रादुर्भाव होता रहेगा और आपके शब्दों की यह ज्योति भविष्य में और भी अधिक तेजस्वी रूप में प्रकाशित होती रहेगी।
आपके उज्ज्वल साहित्यिक भविष्य के प्रति शुभकामनाओं सहित,
डॉ. राजाराम त्रिपाठी
संपादक : "ककसाड़" राष्ट्रीय मासिक पत्रिका, नई दिल्ली
सदस्य : राष्ट्रीय औषधीय पौधे बोर्ड (NMPB), आयुष मंत्रालय, भारत सरकार
सदस्य : "भारतीय मानक ब्यूरो" कृषि मशीनरी समिति FAD11, भारत सरकार
चेयरमैन : केंद्रीय हर्बल एग्रो मार्केटिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया (CHAMF)
अध्यक्ष : आयुर्वेद विश्व परिषद (World Academy of Ayurved)

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